Tuesday, 27 June 2017

फिक्र


                                 

"तुम्हें मेरी कोई परवाह नही। शादी के बाद कुछ साल तो तुम्हें सब याद रहता था जन्मदिन सालगिरह खास मुलाकातों के सब दिन अब इतनी बार  याद दिलाती हूँ फिर भी भूल जाते हो । अब तुम मुझे प्यार नही करते । तुम्हें कोई फिक्र नही रही मेरी।" सुम्मी रोते हुए बस बोलती जा रही थी । 
रोहित कुछ कहने की कोशिश करता तो सुम्मी और बिगड़ जाती। आज शादी की सालगिरह पर दोनों सुम्मी के कहने पर उसी मंदिर आए थे जहाँ शादी से पहले अक्सर जाते थे। पर वहाँ सुम्मी पुराने दिनों को याद करते हुए इतनी भावुक हो गई कि वापसी में बस लगातार झगड़े जा रही थी। वो सड़क की तरफ थी भीड़ का वक्त था तेजी से गाड़ियाँ ट्रक टैम्पों गुजर रहे थे और वो गुस्से में रोती अपनी ही धुन में तेजी से चल रही थी । रोहित दुगुनी तेजी से कदम बढ़ाता उसके पास पहुँचा और उसके सड़क के अंदर की साईड कर उसका हाथ कस के पकड़े सड़क की साईड खुद हो गया। तमतमाई सुम्मी ने उसे घुर के देखा तो रोहित मासूम सा चेहरा बना के बोला
 "कैरी ऑन डियर । तुम गुस्सा करती रहो । वो गाड़ियाँ तेजी से आ रही है न।"
सुम्मी ने होंठ खोले कुछ कहने को पर फिर चुप रह गई ।
रोहित ने आॅटो रोका और सुम्मी को अंदर की तरफ बैठने को कहा।घर के बाहर आॅटो से उतरते ही शर्मा जी का कुत्ता भौंकता हुआ सुम्मी की तरफ लपका। पलक झपकते ही रोहित सुम्मी के आगे खड़ा हो गया। रोहित जानता है सुम्मी को कुत्तों से बेहद डर लगता है । घर में घुसते ही रोहित ने सुम्मी को पानी दिया उसकी साँसें घबराहट से अब भी अस्त व्यस्त थी । तभी आॅफिस से फोन आ गया। रोहित बाहर जाते हुए बोला 
"अभी आता हूँ घंटे तक ।" 
सुम्मी गुस्से से फिर चिल्लाना चाहती थी "तुम्हें मेरी फिक्र नहीं"
 पर.........पर झूठ बात पर कैसे लड़े। फिर मुस्कुरा के बोली "समय तो नही देते न पर, घर आने दो जरा फिर बताती हूँ" और गुनगुनाते हुए घर के काम में लग गई ।😊😊😀


9 comments:

  1. Same character both
    Only change is name Pummy become summy
    😃😃

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  2. सुषमा जी बधाई लें । पति -पत्नी की मीठी - खट्टी नोक झोंक में ही रिश्तों की गूढ़ता उभर के आती है ।

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  3. बहुत सुन्दर एवं सत्यता के अत्यधिक करीब कहानी। बधाई स्वीकार करें।

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