Wednesday, 15 March 2023

ग्रेवडिगर

बीती रात से एक महीने पहले मेरी नज़र एश-ट्रे में पड़े अधजले सिगरेट के टुकड़े पर अटकी थी। जाने क्या बदा था उस आधे सुलगते सिगरेट के टुकड़े से मेरा। दूसरी सिगरेट उसकी अँगुलियों में थी और वह बेहद दिलकश लग रहा था। मैं अचानक बोल उठी, "तुमको पता है तुम काफी हैंडसम हो और तुम्हारे नैन नक्श भी बहुत खूबसूरत हैं।" "इरादा क्या है?" वह हँसते हुए बोला। "अगर मैं तुम्हारी तारीफ करती हूँ, तुम्हारे होठों की बनावट की, तुम्हारी घनी पलकों की तो इसका मतलब यह बिल्कुल भी नहीं है कि मुझे तुम्हारी होना है या तुम्हारे साथ सोना है। बात सिर्फ़ इतनी सी है, तुम एक सुंदर पुरुष हो , कम से कम चेहरे से तो। स्त्री की बात को डिकोड, पुरुष को जल्दबाज़ी में नहीं करना चाहिए। वैसे भी जो चेहरे से सुंदर हो वह मन से भी सुंदर है यह बिल्कुल भी ज़रूरी नहीं है पर इस बात का पता थोड़ा देर से चले तो यह ऐसी भी बुरी बात नहीं है। थोड़े भ्रम बने रहें तो दुनिया थोड़ी कम बदसूरत लगती है।" "तो तुम यह कहना चाह रही हो कि मैं शक्ल से सुंदर दिखता हूँ पर मन का काला हूँ?" "नहीं। मैंने सिर्फ़ इतना कहा कि पुरुष भी सुंदर हो तो मेक दैम ब्लश। पुरूष का शरमाना एक क्यूट बात है। और दुनिया में ऐसी प्यारी बातें कितनी कम होती हैं न!" वह बिना कुछ बोले ध्यान से मुझे देख रहा था। वह समझ गया था कि मैंने कम कहे में अनकहा बहुत कुछ कह दिया है। उसने फिर पूछा "रात हो रही है डिनर करोगी मेरे साथ?" "क्या खिलाओगे?" "तुमने कौन सा मुर्गे शुरगे खाने है यार। घास-फूस ही तो खानी है , बाकी जो चाहो।" मैंने कुछ देर उसकी तरफ देखा, मुस्कराई और कहा, "नहीं , आज मन नहीं है।" "कभी हाँ भी कर दिया करो।" उसने मेरी आँखों में झाँकते हुए बोला। मैं चौंकी क्योंकि वह 'हाँ' यकीनन खाने के लिए नहीं माँगा जा रहा था।मैंने दिल पर हाथ रख एक ठंडी आह भरी, "तुम क्या जानो, हाँ करने के कितने नुकसान उठाने पड़ते हैं दोस्त।" उसने हँसते हुए कहा, "कतई नौटंकी।" मैं भी हँस दी और कहा , "फिर कभी करेंगे साथ डिनर, फ़िलहाल चलती हूँ। " मुझे वहाँ रुकना असहनीय हो रहा था। मुझे अच्छे लगते हैं वह लोग जो मेरी हँसी पर यकीन करते हैं ।मुझे नफ़रत है उन लोगों से जो मेरी आँखें पढ़ लेते हैं। ----- सुम्मी

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