Wednesday 19 July 2017

प्रेम की रीढ़


"सुनो! तुम छोड़ तो नही दोगे मुझे ।"
"कभी ऐसा सोचना भी मत। छोड़ने के लिए नही पकड़ा है हाथ। लाख धक्के दे कर भी कहोगी न कि चले जाओ जिंदगी से तब भी नही जाऊंगा।मरते दम तक नही।"
"सुनो! मुझे इतने प्यार की आदत नही । सिर्फ़ रिश्तों में इस्तेमाल होने की आदत है । मेरी जुबान अक्सर तल्ख हो जाती है मेरे अतीत के ज़ख्मों से ।"
"पर मेरी नही होती कभी । मुझे बस प्यार बांटना आता है। न तल्ख होना आता है न गुस्सा करना।जान भरोसा तो कर के देख एक बार मेरे प्यार पर । मुझे एक मौका तो दे न । तेरे सारे ज़ख्म अपने प्यार से भर दुंगा। जीवन की सब कड़वाहट धुल जाऐगी।"

और शादी हो गई
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"फिर क्या हुआ था ताई? कहाँ गए वो ?तुम तो अकेली रहती हो ?"
"हम्मम.."
"बताओ न ताई कहाँ गए आपके वो?"
"वो चले गए।"
"पर क्यों ?कहाँ ?"
"छोड़ कर , हमेशा के लिए ।"
"हैं!!!!! ऐसे कैसे ?? वो तो कहते थे न आपसे , आपका हाथ कभी नही छोड़ेंगे?"
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"हज़ार बार तुझसे कहा है मुझे तेरी तल्खी बर्दाश्त नही।"
मुझसे तमीज़ से बात किया कर।"
"तुम चाहे कोई भी गलती करो। मुझे शालीनता का पाठ याद रखना होगा।"
"तेरे लिए इतना ही बहुत होना चाहिए , मैं तुझे बहुत प्यार करता हूँ ।"
"प्यार केयर से महसूस होता है ,जुमले रटने से नही।"
"तो क्या चाहती है तू?"
"एक हफ्ते के लिए एक दुसरे से दूर रहते है ताकि एक दुसरे की कद्र पहचान सके।"
"हट साली , रात दिन की किच - किच लगा रखी है ।
मर तू अकेली।हमेशा के लिए ही जा रहा हूँ ।"
हैरानी से आँखें फाड़े सुम्मी .... सुजल को जाते देखती रही थी ....
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"बोलो न ताई क्या हुआ था??"
"ओफ्हो!! तंग कर दिया है । अरी मतिमारी । तेरी कच्ची उम्र है तू नही समझती। प्रेम में  वादे किए जाते है निभाए नही जाते। भ्रम प्रेम की रीढ़ होता है। सब प्रेम भ्रम पर ही टिके होते है। रीढ़ के टूटते ही सब धराशायी ।"

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